Sunday, March 31

वार्ता १

तेरे डेरे की हैवानियत पर
गुमान तो है आ बनता,
कम्बख़्त किस बवाल-ओ-कोहराम का
बखेड़ा तू ने ख़ल्क़ किया;
फरामोशी का नाम मैं रह गया बन कर-
गल नहीं, गर हमशक्ल न होता
वह मोती असीम लोट्ता तेरा और मेरा,
तब क़ायनात के किरदार में तू न जंचता|

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